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धारा:- 137 (व्यपहरण)

काल्पनिक चित्र


भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023 कि धारा:- 137


(व्यपहरण)

 (1) व्यपहरण दो किस्म का होता है, भारत में से व्यपहरण और विधिपूर्ण संरक्षकता में से व्यपहरण-

(क) जो कोई किसी व्यक्ति का, उस व्यक्ति की, या उस व्यक्ति की ओर से सम्मति देने के लिए वैध रूप से प्राधिकृत किसी व्यक्ति की सम्मति के बिना, भारत की सीमाओं से परे प्रवहण कर देता है, वह भारत में से उस व्यक्ति का व्यपहरण करता है, यह कहा जाता है।

(ख) जो कोई किसी बालक को, या किसी विकृतचित्त व्यक्ति को, ऐसे बालक या विकृतचित्त व्यक्ति के विधिपूर्ण संरक्षक की संरक्षकता में से ऐसे संरक्षक की सम्मति के बिना ले जाता है या बहका ले जाता है, वह ऐसे बालक या ऐसे व्यक्ति का विधिपूर्ण संरक्षकता में से व्यपहरण करता है, यह कहा जाता है।

व्याख्या:- इस धारा में "विधिपूर्ण संरक्षक" शब्दों के अन्तर्गत ऐसा व्यक्ति आता है जिस पर ऐसे बालक या अन्य व्यक्ति की देख-रेख या अभिरक्षा का भार विधिपूर्वक न्यस्त किया गया है।

अपवाद. - इस खंड का विस्तार किसी ऐसे व्यक्ति के कार्य पर नहीं है, जिसे सद्भावपूर्वक यह विश्वास है कि वह किसी अधर्मज बालक का पिता है, या जिसे सद्भावपूर्वक यह विश्वास है कि वह ऐसे बालक की विधिपूर्ण अभिरक्षा का हकदार है, जब तक कि ऐसा कार्य दुराचारिक या विधिविरुद्ध प्रयोजन के लिए न किया जाए। 

(2) जो कोई भारत में से या विधिपूर्ण संरक्षकता में से किसी व्यक्ति का व्यपहरण करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारवास से, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने का भी दायी होगा।


अपराध का वर्गीकरण

 सजा:- 7 वर्ष के लिए कारावास और जुर्माना

अपराध:- संज्ञेय 

जमानत:- जमानतीय

विचारणीय:- प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय

अशमनीय:- अशमनीय का मतलब है, ऐसा अपराध जिसके लिए समझौता नही किया जा सकता. 










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